घटाओ के साज पर बादलो के गीत,
बूंदों में बरसता कुदरत का संगीत|
पत्तो की कोमलता पर बूंदों की छुअन,
रूमानियत के रोमांच में भीगता हर मन|
हवाओ के आगोश में मिटटी की खुशबु,
दिल को करती मदहोश, बना देती बेकाबू|
बूंद-बूंद में धडकती बादलो की साँस,
हर बूंद से बंधी इन्सान की आस|
आसमा से बरसता बरकत का नीर,
दिखते हे इसमें राम, मिलते हे पीर|
सूरज को छिपाने की असफल कोशिश|
नीले आसमा पर लहराती काले बादलो की झालर,
बेरंग धरती को औडाती हरियाली चादर|
सूखे वृक्षों को देती जीवन, पंछियों को दाना
नदी तालो में भर देती पानी का खजाना|
3 responses to “बारिश”
Very nicely edited 🙂
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Good One!!
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