बारिश


 
घटाओ के साज पर बादलो के गीत,
बूंदों में बरसता कुदरत का संगीत|
 
पत्तो की कोमलता पर बूंदों की छुअन,
रूमानियत के रोमांच में भीगता  हर मन|
 
 
 हवाओ के आगोश में मिटटी की खुशबु,
दिल को करती मदहोश, बना देती बेकाबू|
 
 
 
 
बूंद-बूंद में धडकती बादलो की साँस,
 हर बूंद से बंधी इन्सान की आस|
 
 
आसमा से बरसता बरकत का नीर,
दिखते हे इसमें राम, मिलते हे पीर|
 
 
 
  
 
बिजलियों में कड़कती बादलो की रंजिश,
सूरज को छिपाने की असफल कोशिश|
 
 
 
नीले आसमा पर लहराती काले बादलो की झालर,
बेरंग धरती को औडाती हरियाली चादर|
 
 
 
 
 
सूखे वृक्षों को देती जीवन, पंछियों को दाना
 
नदी तालो में भर देती पानी का खजाना|
 

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