वो पहली बार जब हम स्कूल चले


माँ की उंगलिया थामे, एक बच्चा स्कूल जाता हैं
चलते चलते पीछे मुड़कर, घर की तरफ वो देखता हैं
बस्ते के वजन से ज्यादा उसका, दिल भारी रहता हैं
एक अजीब सी कशमकश में उसका, चेहरा दिखाई देता हैं
ना ही वो खुश रहता हैं, ना ही वो रो पता हैं
जाने किन ख्यालो में बस, कदम बढाये जाता  हैं
माँ के स्पर्श को आज वो श्हनिक महसूस करता हैं
जो आज तक लगता था अपना उसको, बेगाना जान पड़ता हैं
बांहों से माँ की छूटकर वो, बस में भी चढ़ जाता हैं
और दिल जोर से बस, धड़क कर रह जाता हैं
बस के चलने पर वो, माँ की और हाथ लहराता हैं
ना जाने वो हाथ उठाकर, माँ से अलविदा कहता हैं
या भरकर आँखों में आंसू, अपने पास बुलाता हैं …………………………………………………………..

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