हर राह पर हुजूम हैं, मज़मा हैं
हर रास्ते पर शोर हैं
बस वीरानी हे वो एक राह
जो आती मेरी और हैं !
न कोई शक्ल हैं , ना परछाई हैं
सुना सा इसका हर छोर हैं
रास्तो की भूलभुँल्लिया में ना जाना किसीने
ये रास्ता भी काबिल-इ-गौर हैं
उगता हे सूरज हर रोज इस रास्ते पर
छाई फिर भी यहाँ अलसभोर हैं
आता हैं हर मौसम यु तो वक़्त बदलने पे
आया नहीं कब से बारिशो का वो दौर हैं
इस रास्ते पर हु एकदम अकेला
ना कोई साथ हैं ना बिछोह हैं
ना हैं कोई प्रतिस्पर्धा यहाँ, ना कोई होड़ हैं
बस मैं और मेरी तन्हाई चारो और हैं
हर राह पर हुजूम हैं, मज़मा हैं
हर रास्ते पर शोर हैं
बस विराणी हे वो एक राह
जो आती मेरी और हैं !
गोल घुमती दुनिया का ना जाने ये कैसा दौर हैं
मुड जाती एक भेड़ जिस तरफ, हर भेड़ उसी और हैं
सबसे आगे निकलने की लगी सबमे होड़ हैं
एक दूजे के ख्वाबो को कुचलती अंधी अरमानो की दोड़ हैं
अपने ही गिरेबाँ को छोड़कर उठती उंगली चारो और हैं
बन जाता हे बड़ा वही जिसकी उंगली में ज्यादा जोर हैं
मीडिया, पब्लिक, नेता सबकी उंगली एक दूजे की और हैं
पर दिखाए जो दर्पण इन सबको, ना जाने कहा वो भिखारी वाला चौक हैं
हर राह पर धोखा हैं, फरेब हैं
हर रास्ते पर छलावा हैं
ढूंडता हे वो राह ये दिले -इ- नादाँ
जो ले जाती इस सबके पार हैं
हर राह पर हुजूम हैं, मज़मा हैं
हर रास्ते पर शोर हैं
बस वीरानी हे वो एक राह
जो आती मेरी और हैं !
5 responses to “एक राह, जो आती मेरी और हैं !”
Kya bat hai… its really very touching poem…
Please let me know wo rah kaun si hai 😉
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thanks…………………and i also don’t know that way:)
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Nice lines buddy. here are some lines from me inspired by your poem –
Dil ud jana chahata he panchi bankar ek aise akash me,
jahan har pal ho chaino sukun bhari neend ka bhatkna na pade shanti ke talash me,
yahan sanse hain ghutan bhari dilon me andhera he sabke.
ye dil khul kar saans lena chahata he ek naye suraj ke prakash me,
yahan tapan hi tapan he charon aur har koi tap raha he jeevan sangharsho ki dhoop se,
dil dhoond raha he khushiyon bhari chanv jo lele mujhe apne agosh me….
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awesome lines Arpit…keep it up dost 🙂
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bahut aachi poem hai…
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