ये आँसू भी कितने अजीब होते हैं !
कभी दर्द में बहते हैं
कभी यादो से उभरते हैं
कभी ख़ुशी से छलकते हैं
तो कभी गम में गीला करते हैं
ये आँसू भी कितने अजीब होते हैं !
दिल के बोझ को बूंदों में ढोते हैं
भावनाओ के गुबार को पानी से धोते हैं
फिर गीली पलकों से, गुलाबी गालो से
नाज़ुक हथेलियों से जाने कहा गायब हो जाते हैं !
ये आँसू भी कितने अजीब होते हैं !
कभी गैरो की ख़ुशी से छलक जाते हैं
कभी अपनों के गम में उभर आते हैं
लग जाये बस दिल को जब बात कोई
फिर कहाँ ये रोके जाते हैं !
ये आँसू भी कितने अजीब होते हैं !
ये शरीर रोते समय बस बुत बन जाते हैं
आँख, कान, जीभ सब मुर्दा हो जाते हैं
हैं भाषा जो इन आँसुओ की बस ,
आँसू ही बोल पाते हैं, आँसू ही सुन पाते हैं !
ये आँसू भी कितने अजीब होते हैं !
जो अकेले में बहे तो साथ देते हैं
अपनों में बहे तो सहारा बनते हैं
और गलती से गैरो में बहे
तो मजाक बना देते हैं !
ये आँसू भी कितने अजीब होते हैं !
जिनकी आँखों में रहते हैं वो भावुक होते हैं,
कमज़ोर कहलाते हैं
और जिनकी आँखों से न बहे वो कठोर कहलाते हैं,
निर्दयी बन जाते हैं !
ये आँसू भी कितने अजीब होते हैं !
हर ना को हाँ में बदलने की ताक़त रखते हैं
पत्थर को भी पिघलाने का होसला रखते हैं
फिर भी ये सदियों से लाचारी, बेबसी
और मजबूरी की ही निशानी माने जाते हैं
ये आँसू भी कितने अजीब होते हैं !
जो औरत बहाए तो इसे उसकी आदत कहते हैं !
जो आदमी बहाए तो उसे औरत का दर्जा देते हैं !
न जाने ये दुनिया इन आसुओं में बस
कमजोर को ही क्यों पाते हैं !
ये आँसू भी कितने अजीब होते हैं !
कोई आँसू बहाकर अपना काम बनाते हैं
तो कोई आँसू बहाकर हाल-ए-दिल सुनाते हैं
हैं मज़ा पर रोने का हे तब ही जब
शब्द गले से ना निकल पाते हैं !
ये आँसू भी कितने अजीब होते हैं !
आँसू मगरमच्छ के भी होते हैं
आँसू खून के भी होते हैं
कहे चाहे कुछ भी ये दुनिया
हमें तो बस दिल के ही मालूम होते हैं
ये आँसू भी कितने अजीब होते हैं !
रोता आदमी क्यों अपने नसीब को कोसता हैं
जबकि कुछ हाथ उसके पलकें भी पोछते हैं
नाज़ुक मोतियों को अपने कंधे पर सहेजते हैं
खुशनसीब हे वो लोग जो किसी से लिपट कर बरसते हैं !
ये आँसू भी कितने अजीब होते हैं !
आँखों में लिए ये मोती हम दुनिया में आते हैं
और जाते वक़्त दुनिया की आँखों में दे जाते हैं
ये ज़िन्दगी हे कर्जा इन मोतियों का
जो मरकर ही चुका पाते हैं !
5 responses to “ये आँसू भी कितने अजीब होते हैं !”
The wonderful poem has become more touching with the images added.
This new theme is also really nice. Best one to represent your blog punch line “A journey towards light”. 🙂
LikeLike
Thanks Ankita for reading and noticing everything . I clicked that pic at Pachmadi in 2007.
Happy reading:)
LikeLike
Bahut sahi connect kiya Hai. . . Yar. really deserve for century. . .
LikeLike
thanks Alok…but its not century yet…100th post is yet to come.
LikeLike
very true and emotional poem…………
LikeLike