अय्याशियों की आदत निराली होती हैं
मस्ती की ये बोतले ना कभी खाली होती हैं !
खाली होती हैं गलियाँ सूरज की रोशनी देखकर
दिन के उजालो में रंगीनियों को भी परेशानी होती हैं !
वो बंद हो जाते हैं मयखाने दिल को लुभाने वाले
शहर में जब भी जमकर पहरेदारी होती हैं !
चोर फिर भी बाज़ नहीं आते चोरी करने की आदत से
पर मासूमो को रुसवा करना सिपाही की ज़िम्मेदारी होती हैं !
हैं कुछ लोग इस शहर में जो खुद को समझदार कहते हैं
पर उनकी समझदारी बस स्कूलों में पढ़ाने की होती हैं !
वो चौराहे पर फूँकते रहते हैं हर लम्हे को धुएँ में
जिन नौजवानों की उमर कुछ कर दिखाने की होती हैं!
और दिखाई देती हैं वो तस्वीर भी यहाँ के बागीचो में
जो बाते बंद कमरों में बताने की होती हैं !
क्या कहूँ और अब अपने शहर की आदतों के बारे में
ये आदत हैं मेरी ज्यादा बोलने की, इससे ही मेरी बदनामी होती हैं !
4 responses to “अय्याशियाँ”
Good one !
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vah vah !! bhut khub
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sahi hai dost…..
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……..:-)
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