Dedicated to all my drinker friends
थोडा खुद को सजा दीजिये
कोई ना कोई नशा कीजिये
कब तक यु सेहत का मज़ा लीजिये
जख्मो को भी तो जगह दीजिये
चाहे जितनी मर्जी चंदा कीजिये
थोडा चखना और एक बोतल पर मंगा लीजिये
बेरहम ज़माने से बेखबर बनिए
बोतलों में बहकर बेशरम बनिए
फालतू की अब फिक्र छोडिये
सुरूर भरा कोई जिक्र छेडिये
आज ना गुनाहों पर पर्दा डालिए
जो बात दिल में हो बोल डालिये
बचपन की वो डायरी खोलिए
जवानी की वो शायरी बोलिए
अल्फाजो को आजाद कीजिये
ख्यालो को खुलेआम छोडिये
नशीली इन रातो में न सोच समझ दिखाइए
बस जाम पीजिये और जश्न मनाइये