रुई का गद्दा बेचकर दरी खरीद ली,
ख्वाहिशो को कम किया और ख़ुशी खरीद ली !
कुछ पुरानी पतलून बेचकर चड्डी खरीद ली,
क्रिकेट को छोड़ा और कबड्डी खरीद ली !
सबने ख़रीदा सोना मेने सुई खरीद ली
सपनो को बुनने जितनी डोर खरीद ली !
मेरी एक ख्वाहिश मुझसे मेरे दोस्त ने खरीद ली,
फिर उसकी हँसी से मेने अपनी ख़ुशी खरीद ली !
इस ज़माने से सौदा कर एक ज़िन्दगी खरीद ली,
दिनों को बेचा और शामे खरीद ली !
सपनो के सिनेमा में एक सीट खरीद ली,
चुकाया पूरा बिल और पक्की रसीद ली !
रुई का गद्दा बेचकर दरी खरीद ली,
ख्वाहिशो को कम किया और ख़ुशी खरीद ली !
9 responses to “ख़ुशी”
सबने ख़रीदा सोना मेने सुई खरीद ली
सपनो को बुनने जितनी डोर खरीद ली !
लाजवाब शेर है … गहरा एहसास लिए … नए अंदाज़ की गज़ल …
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तारीफ के लिए शुक्रिया ! आपकी नज़र और आपकी तारीफ ने इस नाचीज़ का दिन बना दिया !
आते रहिएगा ब्लॉग पर !
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very good
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Khushnasib hain woh joh khushiyaan kharid sake,
Warna paise waalon ki koi kami toh nahin.
Gr8 thought my friend.
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Nice Lines…………………
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Awesome poem Ankit.. as always 🙂
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Sir kavita dil me utar kar dimak me rah gayi sayad kabhi na bula paye
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वाह लेखक वाह.. खूब गहराईयों से मारे हो! सलाम 🙏
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[…] https://baramdekidhoop.wordpress.com/2013/06/15/%E0%A4%96%E0%A4%BC%E0%A5%81%E0%A4%B6%E0%A5%80/ […]
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