तारीफ करू या तकलीफ बताऊ,
हाल-ए-दिल पर कैसे सुनाऊ !
ख्वाब नहीं जो मैं भूल जाऊ,
इस खुशबू को मैं कहाँ छिपाऊ !
तेरे पास आऊ या तुझसे दूर जाऊ,
इस चाहत को मैं कैसे जताऊ !
लड़की नहीं जो मैं शरमाऊ,
शेर दिल हूँ फिर क्यू घबराऊ !
जंग हो तो मैं जीत भी आऊ,
इस जुए में कैसे जी-जान लगाऊ !
तू ही बता दे या मैं जान जाऊ,
गुलाब लाऊ या ग़ज़ल सुनाऊ !
बारिश बुलाऊ या तारे तोड़ लाऊ,
किस अंदाज में तुझे आशिकी दिखाऊ !
उलझन ये दिल की कैसे सुलझाऊ,
प्यास बड़ाऊ या प्यास बुझाऊ !
कौन सी दुआ इस खुदा से कुबुलवाऊ,
तुझ को पाऊ या तुझ में खो जाऊ !
तारीफ करू या तकलीफ बताऊ,
हाल-ए-दिल पर कैसे सुनाऊ !
One response to “हाल-ए-दिल”
Nice Poetry…
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