मुझे नहीं पता कि उसके दर्द की सीमा क्या हैं | हर रोज उसका पति रात को शराब पीकर आता और उसके साथ बुरा व्यवहार करता | उसे गन्दी-गन्दी गालियाँ देता, उसके साथ मारपीट करता, और वो पत्थर के बुत की तरह हर अत्याचार सहन करती | ये सब कुछ सहन करते हुए उसे पांच वर्ष हो गये, पर इन पांच वर्षो में ना उसने कभी पति का साथ छोड़ा और ना कभी किसी से कोई शिकायत की | हाँ, गली-मोहल्ले की औरतो के सामने अपनी किस्मत का रोना वो जरूर रोती रहती थी | भगवान ने दर्द सहने की शक्ति औरतो को मर्दों से ज्यादा दी हैं, पर इतनी ज्यादा दी हैं कि वो हर अत्याचार चुपचाप सहन करती रहे ये मैं नहीं जानता था | पुराने लोग ये भी कहते हैं कि हर औरत के दौ रूप होते हैं, एक सती सावित्री की तरह प्यार लुटाने वाले और दूसरा चंडी की तरह संहार करने वाला | मैं उसका सती सावित्री वाला रूप तो देख चूका था और अब मुझे इंतजार था की कभी तो ये सावित्री इस अत्याचार से तंग आकर चंडी का रूप लेगी | पर मेरा ये इंतज़ार कभी पूरा होने वाला नहीं लगता था और उसके साथ ये सब होते देखना मेरे लिए आम बात हो चुकी थी |
उस दिन उसके घर से दोपहर में ही कुछ लड़ने की आवाज़े आ रही थी | इन आवाजो में उसकी तीव्र गर्ज़ना शामिल थी, पर उसके पति की आवाज़ पूरी तरह से गायब थी | मुझे लगा आज ये सती-सावित्री चंडी का रूप ले चुकी हैं और अपने पति को सबक सीखा रही हैं | अत्याचारी पुरुष समाज को दंड मिलते देखने की उम्मीद से मैं तुरंत अपने घर से निकला और उसकी गली में पहुचा | उसके घर के सामने काफी भीड़ थी | उस भीड़ को हटाते हुए जब मेने उसे देखा तो हमेशा के विपरीत वो आज बहुत गुस्से में दिख रही थी | उसके बाल खुले हुए थे और अपने पति से सीखी गालिया आज वो सुना रही थी | उसके हाथ में एक डंडा था, जिससे वो उस जैसी ही एक औरत को बेतहाशा पीटे जा रही थी | ये देखकर मुझे आश्चर्य हुआ की इस मौके पर उसका पति मौजूद ही नहीं था | आसपास के लोगो से पता चला की वो कोने के मकान में रहने वाली विमला हैं, जिसे वो इस तरह पीट रही थी | कल रात उसने विमला को अपने पति के साथ देख लिया | वैसे आस-पडोस की औरते हमेशा उसके पति और विमला के किस्से उसे सुनाती रहती, पर कल रात के वाकये से उसे उनकी बातो पर पूरा विश्वास हो गया | आज पति के जाने के बाद उसने सीधे विमला को बुलाया और उससे जवाब-तलब किया | बातो-बातो में बात बढ़ गयी और उसने गुस्से में आकर विमला को पीटना शुरू कर दिया | गली की कुछ बुजुर्ग औरतो ने दोनों को अलग किया और मामले को रफा-दफा किया, पर तब तक वो विमला को अच्छा-खासा सबक सीखा चुकी थी |
रात में उसका पति घर आया | उसने रोज की तरह फिर उससे मारपीट की और वो हमेशा की ही तरह सहन करती रही | मुझे समझ में नहीं आया कि दिन में अपने प्यार को बचाने के लिए चंडी का अवतार लेने वाली ये औरत अब मूक क्यों हैं | क्या उसका गुस्सा केवल औरतो के लिए था, आदमी के लिये बिलकुल नहीं | उस नाजायज सम्बन्ध में गलती केवल विमला की ही नहीं थी, बल्कि उसका पति भी बराबरी का हिस्सेदार था | तो फिर उसने सजा केवल विमला को ही क्यों दी ? क्या वो पूरी तरह से पुरुषो की गुलामी स्वीकार कर चुकी हैं | दिन में विमला ने पुरुष से रिश्ता रखने के लिए अत्याचार सहा और रात में उसने, पर वो पुरुष अभी भी अपने अत्याचारी होने के अहसास से भी अनजान था | समझ में नहीं आया कि औरत का असली दुश्मन कौन हैं, ये पुरुष समाज या वो खुद |
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