कल वाले दिन अब परसों हुए
उस जुनू को जिये बरसो हुए
दिन कटता था जिसके दीदार में
उस इश्क़ को किये बरसो हुए
वो भी क्या दिन थे
लगता हैं सब कल परसों हुए
हाथो में हाथ हसीना का साथ
उसे बाँहों में भरे बरसो हुए
जिस मंज़र से की थी इस क़दर चाहत हमने
उस गली से गुजरे बरसो हुए
याद करता हैं वो चौक का चौकीदार हमें
इस मोहल्ले में चोरी हुए बरसो हुए
“ठाकुर” आ जाओ तुम फिर से अपने रंग में
कि तुम्हे भी किसी का दिल चुराये बरसो हुए
आशिकों कि ज़मात में एक तुम्हारा भी नाम हो
जो मिटाए ना मिटे फिर कितने भी बरसो हुए
7 responses to “बरसो हुए”
I like so much. Best poem on love.
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Who is the author ??
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All the content of this site is 100% original and written by me only – Ankit Solanki.
(* except some free images that are copied from Google search)
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Bhai dil ko chu gayi. Love it bro.
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I love so much your poem.evertime if in any line something match with our emotions then all the poem looks like it creates for ourself. Shero shayari in hindi
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अपने विचारों की इतनी सुंदर अभिव्यक्ति के लिए आपको अनेकानेक बधाइयां एवं शुभ आशीर्वाद। बस इसी प्रकार से आगे बढ़ते हुए तरक्की करते रहें। आयुष्मान भव ।
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वाह बड़े ही सुन्दर विचारों को प्रगट किया है आपने। इसके लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद। Zee Talwara
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