गाजर का हलवा


ये कहानी तब की नही हैं जब शादी समारोह में पंगत लगती थी और सभी को बड़ी मनुहार करके भोजन कराया जाता था, पर ये कहानी उतनी भी नई नही हैं कि जब छप्पन प्रकार के भोग बनाकर मेहमानों के सामने फूल डेकोरेटिव टेबल पर रख दिये जाते है | ये कहानी तो तब की हैं जब बुफे पार्टी में इतने तरह के व्यंजन नही होते थे, मीठे के नाम पर एक या दो ही आइटम होते थे और समाज इस बात पर आश्चर्य कर रहा था कि दाल-चावल जैसी पूर्णतः घरेलू डिश को भी शादी-पार्टी में परोसा जा रहा है । खाने के स्टाल पर एक जैसी यूनिफार्म में सजे वेटर नही खड़े होते थे, रिश्तेदार और दोस्तो में से ही कुछ कार्यकर्ता चुनकर स्टाल पर खड़े कर दिए जाते थे । इनका मुख्य कार्य डिमांड और सप्पलाई का होता था । जैसे ही स्टाल पर कोई आइटम खत्म होता था, ये पीठे में से लाकर फिर स्टाल पर रख देते थे ।

तो भईया ऐसी ही एक शादी में एक बार गाजर के हलवे के स्टाल की जिम्मेदारी हमें दी गयी । जब भी गाजर के हलवे का भगोना खाली होता, हम पीठे से लाकर फिर भगोना भर देते थे । बाकी समय बस स्टाल पर खड़े रहते और आती जाती जनता को देखते रहते । हमारे स्टाल के पीछे ही स्पीकर का एक बक्सा रखा था जिसमे कहो ना प्यार है फ़िल्म की कैसेट से गाने बजाए जा रहे थे । हर पार्टी में एक समय आता है जब काफी भीड़ हो जाती हैं और लगभग सारे मेहमान पार्टी में पहुच चुके होते हैं । सामन्यतः रात आठ से दस के बीच वाला समय ऐसा ही होता हैं । हम भी ऐसे समय मे स्टाल पर खड़े थे। जनता में से कोई भी हमारी तरफ तभी देखता था जब बर्तन खाली हो जाता था, अन्यथा जनता को हमारे वहां खड़े रहने ना रहने से कोई मतलब नही था ।

उस समय स्पीकर पर ‘ताज़ा-ताज़ा कली खिली है” वाला गाना बज रहा था और हम भी साथ साथ मे ये गीत गुनगुना रहे थे। गाना गुनगुनाते हुए ही हमारी नज़र एक लड़की पर गयी जो गाजर के हलवे के स्टाल के पास ही खड़ी थी और हलवे पर उमड़ी भीड़ को आस भरी नज़रो से देख रही थी । हमे ये समझने में कतई देर नही लगी कि ये लड़की स्टाल पर भीड़ का अंदाजा लगा रही है और सोच रही है कि अभी भीड़ में घुसा जाए या थोडा इंतज़ार किया जाए । लड़की देखने मे हमारी उम्र की ही लग रही थी पर जान-पहचान की नही दिख रही थी । गोल्डन एम्ब्रॉयडरी वाले सफेद कुर्ते और उसी से मैचिंग सलवार और दुपट्टे में वो लड़की बहुत खूबसूरत तो नही पर कम भी नही लग रही थी । तब लडकिया बालो पर स्ट्रेटनर से अत्याचार कर माथे से चिपकाती नही थी, बल्कि उन्हें नेचुरल ही रखती थी। इस लड़की ने भी बालों को साधारण से पोनीटेल में बांधा था, पर आगे के कुछ बालो को गोल घुमाकर सर पर एक पफ भी बनाया हुआ था । ये पफ उसकी खूबसूरती को चार चांद लगा रहा था ।हम ने उस लड़की को देखा तो सोचा क्यों ना हम भगोने से एक प्लेट हलवा लेकर इस लड़की को दे दे, इस मदद के बहाने जान-पहचान भी हो जाएगी । पर फिर सोचा इससे पुरुष समाज की नाक ना कट जाए । लड़की है तो क्या हुआ, इसको भी आम जनता के बीच आकर हलवा लेना चाहिए । हम ये सोच ही रहे थे कि इस बीच वो लड़की वहाँ से चली गयी और हम भी अपने काम मे व्यस्त हो गए।

कुछ देर बाद हमने देखा कि वो लड़की फिर से स्टाल के पास खड़ी थी, वैसे ही भीड़ को देख रही थी । इस बार हमने पुरुष समाज की नाक को गोली मारी और लड़की की मदद करने की ठान ली, वैसे भी पुरुषों की नाक तो महिलाओं पर अत्याचार करके वैसे ही कटी हुई हैं, हम तो महिलाओं की मदद ही कर रहे थे । हमने स्टाल पर से एक एक्स्ट्रा चम्मच निकाला, उससे हलवा प्लेट में भरा और उस लड़की को दे दिया। स्टाल पर खड़ी दो आंटी ने हमे गुस्से से देखा और शायद करमजले-नासपीटे जैसी गालिया मन ही मन दी , पर हम उन्हें कंप्लेटली इग्नोर मार कर आगे बढ़ गए । लड़की को भी शायद हमारे इस कदम का अंदाजा नही था, इसलिए जब हमने उसे हलवे की प्लेट दी वो थोड़ा सा झेंप गयी । फिर खुद को सम्भाला और मुस्कुराई, और फिर हँसते हुए ही थेंक यू कहा और चली गयी । उसके मुस्कुराकर थैंक यू कहने ने पूरे शरीर मे उत्साह और खुशी का ऐसा संचार किया कि उस पर मोटिवेशन की हज़ार किताबे भी कुर्बान जाए । उधर स्पीकर पर भी लकी अली की आवाज़ में कमाल का गाना बज रहा था – क्यो चलती हैं पवन, क्यो मचलता हैं मन…ना तुम जानो ना हम ।

हमारा तो रोम-रोम इस वाकये पर खिला हुआ था पर कोई और भी था जो इस वाकये का दूर से आनंद ले रहा था । हमे हलवा देते हुए पास के ही रायते के स्टाल पर खड़े राहुल ने देख लिया । फिर क्या था, रायते वाले राहुल ने रायता फैला दिया । रसोई वितरण की व्यवस्था देख रहे सभी कार्यकर्ता में हमारे हलवे का हल्ला मच गया । कुछ अति-उत्साही कार्यकत्ताओं ने तो बिना देखे ही हमे अपना भैया और उस लड़की को अपनी भाभी भी मान लिया था । हम बदनाम हो चुके थे और हमारे मजे भी लिए जा रहे थे पर फिर भी हम खुश थे कि किसी लड़की ने तो हमे भाव दिए। ।

कुछ देर इसी तरह खुशी खुशी में कुछ ग्राम वजन बढ़ाने के बाद अब हमारी नज़रे फिर उस लड़की को ढूंढ रही थी । और मेहरबानी देखिए किस्मत की, वो लड़की फिर से हमारे स्टाल के पास आकर खड़ी थी और भीड़ को निहार रही थी । हमसे उस लड़की की नज़रे मिली तो उसकी नज़रे शरमा के झुक गयी । हमे ये समझते कतई देर नही लगी कि उसे हलवा अच्छा लगा और वो दूसरी प्लेट भी लेना चाहती है । मन ही मन हमने हलवा बनाने वाले मुख्य हलवाई भँवर उस्ताद को धन्यवाद किया, जिन्होंने इतना अच्छा हलवा बनाया कि ये लड़की दूसरी प्लेट लेने से खुद को रोक ही नही पायी । हमने भी अपने पहले प्यार की दूसरी प्लेट तैयार कर दी और फिर से उसे ऑफर कर दी। वो लड़की इस बार थोड़ी सहज दिखी, उसी अंदाज में हमे थेंक यू कहा और चली गयी ।

सर्दी के मौसम में भी हमे उस समय गर्मी का अहसास हो रहा था । स्पीकर पर भी गाना बज रहा था “प्यार की कश्ती में, लहरो की मस्ती में, चले हम……गगन से दूर” । इधर इश्क़ की आंच पर हमारी भी भगोनी चढ़ चुकी थी । हमे अहसास था कि उस लड़की को स्टाल पर खींचने वाला जादू भंवर उस्ताद का ही नही था, बल्कि उसमे हमारा भी हाथ था । रायते वाले राहुल के चेहरे पर हमारे लिए दिखने वाले आश्चर्य ने भी इस बात की पुष्टि कर दी थी । हम ख्याली पुलाव बना रहे थे और इधर हमारे इश्क़ का हलवा मुहल्ले में बटने जा रहा था । इस बार वो लड़की अपनी सहेली को लेकर स्टाल के पास खड़ी थी और वैसे ही भीड़ को निहारे जा रही थी । जैसे हर लड़के का एक कमीना दोस्त होता हैं, जिसे वो अपनी दिल की बात कभी नही बताता है, नही तो वो उसका मजाक बना देता हैं । वैसे ही हर लड़की की बेस्ट फ्रेंड जरूर होती हैं, जिसे वो अपने दिल की बात जरूर बताती हैं, नही तो उस लड़की के पेट मे बात ना बोलने के कारण दर्द हो जाता हैं । ये दूसरी वाली लड़की भी पहली वाली की बेस्ट फ्रेंड लग रही थी, हम समझ गए कि ये लड़की अब अपनी बेस्ट फ्रेंड को हमारे बारे में बता चुकी है और हमे दिखाने लायी हैं ।वैसे दिखने में ये बेस्ट फ्रेंड भी मेहरून लहंगे में बहुत खूबसूरत लग रही थी । हमने भी नहले पर दहला मारते हुए दो प्लेट हलवा तैयार कर दिया और उन दोनो को दे दिया । सहेली ने उस लड़की को खुशी और आश्चर्य से ऐसे देखा जैसे कोई सरकारी दफ्तर में अपनी जान पहचान से हमारा काम जल्दी से करवा देता है । दोनों लड़कियों ने हमे मुस्कुराकर थेंक यू कहा और चली गयी ।

इधर हमारी खुशी बढ़ती जा रही थी पर रायते वाले राहुल का ठंडा रायता अब उबल रहा था और उसमें से जलने की भी बू आ रही थी । डिजाइनर लहंगे वाली लड़कियों के बीच भी हमारा हलवा फेमस हो रहा था । अब तक हम पूरी कार्यकर्ता मंडली के भैया और वो सलवार सूट वाली लड़की भाभी बन चुकी थी । हम भी इतराते-शर्माते इस तमगे पर मन ही मन खुश हो रहे थे । रायते वाला राहुल हमे समझा रहा था कि लडकियो के मामले में जल्दी सेंटी नही होते वो बस लड़को का फायदा उठाती है, पर हम रायते वाले राहुल की इस बात को फूल इग्नोर मार रहे थे । इस बीच वो लड़की दो बार और स्टाल पर आ गयी और हमने भी खुशी-खुशी उसे हलवे की प्लेट लगाकर दी ।स्पीकर पर कहो ना प्यार है का टाइटल ट्रेक भी मौके पर चौका लगाते हुए बज रहा था – “दिलवालो दिल मेरा सुनने को बेकरार हैं – कहो ना प्यार हैं” । हम खुश थे कि लड़की खाने के मामले में बिल्कुल अपनी टक्कर की मिली, आखिर किसी शादी-प्रोग्राम में चार-पाँच प्लेट मीठा नही खाया तो क्या खाया । केलोरी गिन-गिन कर खाने वाले इस ज़माने में कहां मिलती हैं ऐसे डटकर खाने वाली लड़कियां ।

इस सबके बीच रात के लगभग दस बजने को थे । पार्टी में लोग कम हो रहे थे और हमारे हलवे के स्टाल पर भी इक्का-दुक्का लोग ही आ रहे थे। बार-बार भगोना भरकर लाने की अब कोई जरूरत नही थी इसलिए कार्यकर्ता लोग भी स्टाल छोड़कर इधर-उधर बाते करने में लगे थे और कुछ ने तो खाना भी शुरू कर दिया था । हम भी अपने स्टाल से थोड़ी दूर खड़े होकर रायते वाले राहुल से गप्पे लड़ा रहे थे । इसी बीच उस लड़की का फिर से स्टाल पर आगमन हुआ । स्टाल पर कोई भीड़ तो थी नही इसलिए अब उसको हमारी मदद की कोई जरूरत नही थी । पर उसने खड़े होकर स्टाल को देखा और फिर बिना हलवा लिए ही पलटकर जाने लगी । हम समझ गए कि उसने स्टाल पर हमें नही देखा तो हलवा भी नही लिया । हम उसी समय स्टाल के पास आये और उसे टोका – “एक्सक्यूज़ मी …ये लीजिये हलवा”
लड़की पलटी और फिर हमें देखकर मुस्कुरा दी ।
हमने भी मुस्कुराते हुए पूछा – “आपको गाजर का हलवा बहुत पसंद हैं ?”
उस लड़की ने फिर हंसते हुए कहा – “जी हाँ, बहुत…हमारे पापा को भी बहुत पसंद हैं”
हर लड़की अपने पापा की परी होती हैं और पापा से बहुत प्यार करती हैं, ये बात इस लड़की ने सिद्ध कर दी वरना पापा की पसंद से हमे कोई लेना-देना नही था । वैसे उस लड़की की बात से हमे भी थोड़ी देर के लिए याद आया कि हमारे पापा को भी मिर्ची के पकोड़े बहुत पसंद हैं।
“आप यही से है या किसी दूसरे शहर से आई हैं ?” म्हारो-थारो बोलने वाले मालवी शहर से इस लड़की की बोली मेल नही खाती थी तो हमने पूछ लिया ।
“जी, हम भोपाल से आए हैं” ये बात तो लड़की ने इतने प्यार से बोली कि उस पल तो अब हमें बैरागढ़ सहित पूरे भोपाल से इश्क़ हो गया था ।
अब हमें कुछ सूझ नही रहा था क्या पूछे सो कुछ देर खामोशी ही रही ।
“स्वारी, हमारी वजह से आपको परेशानी हुई” कुछ देर की खामोशी के बाद उस लड़की ने बात की शुरूआत की ।
“जी नही इसमे परेशानी क्या” अब हमें हलवे की प्लेट लगाने में क्या दिक्कत थी तो हमने भी कह दिया ।
इसके बाद फिर हम दोनों को कुछ नही सूझा तो कुछ देर शांति ही रही । फिर कुछ देर बाद हमे लगा कि वो लड़की जाने को हैं तो तुरंत बात की शुरुआत करते हुए कहा – “वैसे गाजर का हलवा बहुत पसंद है आपको भी, पूरे पांच प्लेट लिया आपने” ।
शायद हम ये प्लेट काउंटिंग वाली बात नही बोलना थी पर थोड़ी देर पहले ही रायते वाला राहुल हमे गिना रहा था तो बात मुँह से निकल गयी । लड़की भी हमारी बात से बुरी तरह झेंप गयी, पर फिर खुद को संभालते हुए बोली – “नही, वो सब प्लेट हमने नही खाई, कुछ तो दुसरो को भी दे दी….वो हम तो स्टाल पर बार-बार अपने पापा को देखने आ रहे थे, उन्हें भी गाजर का हलवा बहुत पसंद हैं पर उन्हें डाइबिटीज़ हैं, ऐसी शादी-पार्टियों में कोई देखने वाला नही होता हैं तो वो अक्सर खा लेते हैं। पहले भी एक शादी में पापा ने मीठा खा लिया था और फिर तबियत खराब हो गयी थी । हम तो स्टाल पर ये देखने आ रहे थे कि हमसे नज़रे बचाकर पापा यहाँ हलवा ना खा रहे हो और आप हमें हलवे की प्लेट दे देते थे ।” इतना बोलकर वो चली गयी और फिर वापस स्टाल पर नही आई ।
अब झेंपने की बारी हमारी थी । हम तो बेचारी लड़की की मदद कर रहे थे पर इसे तो मदद की जरूरत ही नही थी । हम यहां वेलेन्टाइन डे सेलेब्रेट कर रहे थे पर वो तो फादर्स डे मना रही थी। रायते वाला राहुल जलन के कारण ही सही, पर बात सही कर रहा था कि लड़कियों की बिना बोले मदद करना ही नही चाहिए । कहाँ तो हम सोच रहे थे कि पूड़ी के स्टाल पर खड़ी अपनी मम्मी और पकोड़े के स्टाल पर मिर्ची के पकोड़े खा रहे अपने पापा को बुलाये और इस लड़की से रिश्ते की बात चालू करें पर अब उन्हें पूड़ी और पकोड़े पर ही फोकस करने देते हैं । वैसे भी हमारे यार दोस्तो ने ये बात समझाई थी कि लड़कियों के मामले में जल्दी से सेंटी नही होना चाहिए, ये तो हमारे घूमने-फिरने, ऐश करने के दिन है ।जल्दी से सेंटी होने का अच्छा सिला मिल गया हमे ।
दिल भले ही टूटा था पर पूरे वाकये में एक बात हमे बहुत अच्छी लगी कि लड़कियां लड़को का फायदा उठाती हो या ना हो, पर अपने पापा का बहुत ध्यान रखती हैं । पूरे दिन की मेहनत के बाद अब हमें भूख लगने लगी थी तो हमने भी फिर स्टाल छोड़कर प्लेट लगाई और आराम से एक कुर्सी पर बैठकर भोजन करने लगे । कुछ कार्यकर्ता हमे अभी भी भाभी के बारे में पूछ रहे थे पर हम क्या बताते कि भाभी तो हमारे प्यार का हलवा खाकर चली गयी । हमे खुद पर गुस्सा आ रहा था कि हलवा देने के पहले पूछना तो चाहिए था, पर उससे ज्यादा गुस्सा इस बात का था कि वो लड़की तो सब जानकर भी हलवे की प्लेट पर प्लेट लिए जा रही थी । इतने में रायते वाले राहुल ने हमे रायते का दोना थमा दिया और हमने जाम समझ के पूरा रायता एक सांस में गटक लिया और अपना गम और गुस्सा ठंडा कर लिया । उधर स्पीकर पर किसी ने कहो ना प्यार है की कैसेट निकालकर रेडियो लगा दिया था जिस पर बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ जैसा कोई सरकारी विज्ञापन चल रहा था ।

3 responses to “गाजर का हलवा”

  1. Bhai kaho na pyar ki cassette or tera gajar ka halwa – Dono ek dam synchronised the… feeling is very well expressed, you kept every moment and every single minor details at right time at right place. Really awesome and I like that you chose Hindi so that it should not miss the desi tadka… eagerly waiting for part-2 of this story. Don’t end like this make it something memorable. 😍

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