शेर, शाकाहार और प्रकृति


चमगादड़ खाने की कीमत आज हम चूका रहे हैं पर शेर को पिंजरे में बंद करने की कीमत चुकाना अभी बाकी हैं !

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शेर और शाकाहार, ये कभी संभव नहीं हैं । प्रकृति ने शेर को मांसाहारी ही बनाया हैं । शेर को वैसे शारीरिक रूप से भी प्रकृति ने बहुत सक्षम बनाया हैं । नुकीले दांत , हष्ट-पुष्ट शरीर , चपलता, स्फूर्ति , हवा से भी तेज़ चाल और ब्रह्माण्ड को भेदने की क्षमता रखने वाली दहाड़ । शेर प्रकृति द्वारा स्थापित खाद्य श्रंखला में सबसे ऊपरी पायदान पर विराजमान भी हैं । और सबसे ऊपरी पायदान पर होना शेर का सौभाग्य भी हैं, उत्तरदायित्व भी और नियति भी । शेर को अपने द्वारा किये गए हर शिकार और मांस के हर टुकड़े के प्रति पूर्ण दायित्व निभाना होता हैं ।

शेर लिखना और शेर सुनाना आसान हैं , पर शेर बनना बहुत मुश्किल । और शेर जैसे हमेशा बना रहना तो और भी मुश्किल । यहाँ बात केवल शारीरिक क्षमता की नहीं हो रही हैं बल्कि उस निडरता की हो रही हैं जिसके बलबूते पर वो जंगल का राजा कहलाता हैं, और उस उत्तरदायित्व की भी जो उसे जंगल का राजा होने पर या जीवन चक्र के अग्रज होने पर निभाने होते हैं । शेर रोज अपना शिकार ढूंढंता हैं और पेट भरता हैं परन्तु उसके शिकार के बावजूद जंगल में कभी किसी प्राणी के अस्तित्व पर संकट नहीं आता, वरन शेर के शिकार के कारण तो सभी प्राणियों की संख्या  नियंत्रण में रहती हैं, जीवन चक्र सुचारु रूप से विद्यमान रहता हैं । शेर अपने जंगल के जानवरो की दुसरे जंगली जानवरो से रक्षा भी करता हैं । अगर जंगल में कोई और शेर या अन्य कोई और हिंसक जानवर घुस जाए तो शेर उससे युद्ध करता हैं और अपने प्राणियों की रक्षा करता हैं । अपनी शक्ति के अभिमान में शेर कभी जंगल को या जंगल के प्राणियों को कोई हानि नहीं पहुंचाता । शेर कभी ज्यादा सामाजिक नहीं होता , वो बन्दर की तरह पेड़ो पर उछलकूद नहीं करता , हाथी की तरह तालाब में सूंढ़ से पानी उलीचकर जलक्रीड़ा नहीं करता ।और तो और शेर की हिंसक और आक्रामक व्यक्तित्व से जंगल में भय का माहौल ना हो इसलिए शेर शिकार करने के बाद चुपचाप अपनी गुफा में अकेला ही आराम करता हैं । यहाँ तक कि शिकार करना भी शेर का शौक कम और मजबूरी ज्यादा हैं । मजबूरी इसलिए क्युकी उसे अपना पेट भरना होता हैं और जरुरी इसलिए क्युकी अभ्यास के अभाव में वो लड़ने की शक्ति ना खो दे । शेर बनना वाकई जितनी गर्व की बात हैं उतनी ही जिम्मेदारी की भी ।

मुझे बहुत हँसी आती हैं जब मांसाहारी मित्र मांसाहार के पक्ष में ये अजीब सा तर्क देते हैं कि जो शेर होता हैं वही मांस खाता हैं और घास-फूस खाने का काम तो गाय-भैस का हैं । अलबत्ता गाय-भैस का भी अपना महत्त्व हैं पर शेर से तुलना तो हास्यापद ही हैं । अब इन्हे कौन बताये की शेर रोज अपना शिकार खुद करता हैं और वो भी अपनी शारीरिक और बौद्धिक क्षमता से । इस तरह से मृत प्राणी के इर्द-गिर्द बैठकर भक्षण करने का कार्य तो चील , कौए और कुत्ते करते हैं । शेर का मांसाहार जीवन चक्र से सामंजस्य स्थापित करता हैं , और मानव का मांसाहार जीवन चक्र का विनाश । मांसाहार तो ठीक मनुष्य का शाकाहार भी अब तो जीवन चक्र में विघ्न पैदा कर रहा हैं । हम पेड़-पौधों से भोजन प्राप्त करते हैं और उन्हें ही समाप्त करने पर आमदा हैं । पेड़-पौधों पर आश्रित कितने ही पशु-पक्षियों का अस्तित्व अब संकट में हैं । और मांसाहार के लिए तो हमने अलग से जीवन बनाने की फैक्ट्री तैयार कर दी हैं , जहाँ बकरे-मुर्गे-सूअर-भेड़ और पता नहीं क्या-क्या केवल इसलिए पैदा और पोषित किये जाते हैं ताकि वो मानव का पेट भर सके । प्रकृति की नैसर्गिक फैक्ट्री बंद करके हम ये आत्म विनाश की फैक्ट्री बना रहे हैं । और जो शेर इस विनाश को रोक सकता था , इन सभी निरीह जानवरो का सबसे बड़ा संरक्षक था, उसे हमने पिंजरे में बंद कर दिया हैं ताकि वो हमारे बच्चो का मनोरंजन कर सके । ये ठीक वैसा ही हैं जैसे आपने किसी देश के राष्ट्रपति या प्रधानमन्त्री को बोल दिया की आप फिल्मो में काम कीजिये और देश की व्यवस्था चलाने के स्थान पर हमारा मनोरंजन कीजिये । प्रकृति के साथ इतना क्रूर मजाक तो विलक्षण बुद्धि का धनी मानव ही कर सकता हैं ।

फिल्म बाहुबली में एक दृश्य हैं , जंगली सूअर फसलों को नष्ट कर रहे हैं और किसानो की याचना पर राजा उन सुअरो का शिकार कर उनका वध कर देते हैं । मनुष्य भी प्रकृति की फसल नष्ट कर रहा हैं और ईश्वर तो बाहुबली हैं ही । क्या पता किसी दिन प्रकृति की याचना से पसीजकर ईश्वर बाहुबली बनकर मनुष्य पर हमला बोल दे । समय अपनी गति से चल रहा हैं | चमगादड़ खाने की कीमत आज हम चूका रहे हैं पर शेर को पिंजरे में बंद करने की कीमत चुकाना अभी बाकी हैं |

— अंकित सोलंकी, उज्जैन (मप्र)

4 responses to “शेर, शाकाहार और प्रकृति”

  1. Superb man…
    You curated every aspect in the article. You word selections are simply awesome. Acknowledging the world what could be the consequences of playing with nature via Simple Story is really impressive.
    Keep writing, All the best 👍

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