शराब इतनी जरूरी तो नही !


गम में गला गीला हो जरुरी तो नहीं
ख़ुशी में हाथ में प्याला हो जरुरी तो नहीं !

शराब आदत ख़राब हैं, ये जीवन ख़राब ही करेगी
पर ये आदत ही जीने की जरूरत हो जरुरी तो नहीं !

चार दोस्त मिल जाये तो चाय पर भी बात हो सकती हैं
यूँ नशे में बहककर लड़खड़ाना जरुरी तो नहीं !

अरे वो मर्द ही क्या जो होशोहवास में मन की बात न कह सके
दिल हल्का करने के लिए जहर की जरूरत हो जरुरी तो नहीं !

हँसी तो ओकेसनली बोलने वालो पर आती हैं
कोई ओकेज़न हर दूसरे दिन हो जरुरी तो नहीं !

सरकार का काम हैं कमाना, कमाती रहेगी
पर उनकी कमाई के लिए खुद को क़त्ल करना जरुरी तो नहीं !

जरा पूछो उस बेसहारा बच्चें से जिसका बाप कहता था
शराब पीने से लिवर ख़राब ही हो जरुरी तो नहीं !

जरा पूछो उस दुखियारी माँ से जिसके बेटा कहता था
दो पेग लगाकर गाड़ी ना चला सको जरूरी तो नही !

जरा पूछो उस गरीब मज़दूर के परिवार से जो कहता था
देसी दारू पीकर मौत ही हो जाये जरूरी तो नही !

अरे नशा करना ही हैं तो इश्क़-इबादत-मेहनत का करो
यू अनमोल जीवन को मौत को सौपना जरूरी तो नही !

–अंकित सोलंकी, उज्जैन (मप्र)

4 responses to “शराब इतनी जरूरी तो नही !”

  1. बहुत बढ़िया कविता !
    इस बात पर पार्टी हो जाये
    आओ कभी साथ मे पीते हैं

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