युवा हो तो इंक़लाब का ख्याल आना चाहिए
रगों में बहते खून में उबाल होना चाहिए
बर्दाश्त ना करने की आदत होना चाहिये
अन्याय के खिलाफ बुलंद आवाज़ होना चाहिए
दिल्ली में दलदल हैं इस दलदल को साफ होना चाहिए
भोपाल में कुछ हो तो लखनऊ में भी हुंकार होना चाहिए
कदम छोटे भी हो पर सोच विशाल होना चाहिए
मंज़िल मिले न मिले पर कोशिश हर बार होना चाहिए
नौजवान तुम नाचीज़ हो, तुम पर नाज़ होना चाहिए
धड़कन हो देश की, तुम्हे ज़िम्मेदारी का अहसास होना चाहिए
कोई भूखा ना हो, कहीं ज़ुल्म ना हो
हर काम तुम्हारा वतन के नाम होना चाहिए
–अंकित सोलंकी, उज्जैन (मप्र)