क्या आपकी भी प्लेट में पनीर हैं ?


पनीर बटर, पनीर दो प्याजा, कढ़ाई पनीर, पनीर टिक्का, चिली पनीर, पनीर हैदराबादी, पनीर कोल्हापुरी…..

पनीर तेरे कितने नाम !

होटेल और रेस्टोरेंट के मेनू कार्ड में शाकाहारीयो के लिए अक्सर ये नाम दिखाई देता हैं । पनीर के साथ थोड़े बहुत मसाले बदलकर, पनीर के आकार को बदलकर ये डिश परोसी जाती हैं ! असल मे ये सारी डिश मांसाहारी हैं, जिनमे मांस के स्थान पर पनीर डालकर पकाया जाता हैं । बटर चिकन में चिकन को बटर के साथ बनाया जाता हैं, इसमे चिकन के स्थान पर पनीर को प्रयोग हो गया तो बटर पनीर मसाला बन गया। चिकन टिक्के में चिकन को आग में भूनकर पकाया जाता हैं । यहाँ भी पनीर को भूनकर पकाया तो पनीर टिक्का बन गया। चिली पनीर और पनीर भुर्जी भी चिली चिकन और अंडा भुर्जी में चिकन और अंडा का पनीर से रिप्लेसमेंट हैं । ये शाकाहारियों के लिए कॉन्सोलेशन प्राइस है, चलो तुम माँस नही खाते तो हम तुम्हारे लिये इसमें माँस को रिप्लेस कर देते हैं ।


सवाल ये नही हैं कि इसमें माँस को रिप्लेस करके बनाया गया, सवाल ये हैं कि क्या शाकाहारियों की डिशेस का अकाल पड़ गया था जो हमे ये माँस का विकल्प परोसा जा रहा हैं | इतने प्रकार की सब्जियाँ और मसाले हैं इस भारत भूमि पर कि नाम लेते लेते थक जाये, फिर ये पनीर ही क्यों हमें खिलाया जा रहा हैं | कोई भी व्यक्ति माँस को इसलिए ग्रहण नहीं करता हैं, क्युकी उसे माँस खाना पसंद नहीं हैं या वो माँस खाने को बुरा मानता हो | पर यहाँ हो क्या रहा हैं कि आपकी नापसंद चीज़ से बनी डिशेस को ही शाकाहारी रूप में प्रस्तुत किया जा रहा हैं | यहाँ आप मांस खाने के पाप से तो बच जायेगे पर उस तामसिक प्रवृत्ति को तो निश्चित रूप से ग्रहण करेंगे जो इन डिश के साथ जुडी हुई हैं | किसी भी मांसाहारी व्यजन को पनीर के साथ पकाना वैसे ही हैं जैसे किसी फिल्म में विलेन गैंग के लीडर शक्ति कपूर को शाहिद कपूर से रिप्लेस कर देना, और यहाँ ये शाहिद कपूर “विवाह” या “जब वी मेट” जैसा बर्ताव नहीं करेगा बल्कि “कमीने” या “कबीर खान” जैसा बन जायेगा | बटर पनीर में पनीर लंका में बैठा उस विभीषण जैसा हैं जो रावण का साथ देगा तो बुराई को पूर्ण रूप से अंगीकार करेगा और राम का साथ देगा तो घर का भेदी लंका ढाये जैसे कहावत को चरितार्थ करेगा |

वैसे ये होटल वाले शाकाहारियों को पनीर इसलिए नहीं खिला रहे क्योकि उनके पास शाकाहारी व्यंजन नहीं हैं | वो इसलिए पनीर खिला रहे हैं क्योकि शाकाहारी भोजन का संसार इतना विशाल और व्यापक हैं कि किसी रेस्टॉरेंट की औकात नहीं कि उसे अपने मेनू कार्ड में समेट ले | वो उस तैयारियों से भी बचना चाह रहे हैं जो साग-भाजी से जुडी होती हैं | ताज़ा सब्जियाँ होना चाहिए, फिर उसे साफ़ करना और करीने से काटना, हर एक सब्जी की अपनी तैयारियां और अपना अलग पकाने का तरीका – इतनी मेहनत और मोहब्बत से काम तो सिर्फ माँ की रसोई में ही होता हैं | पर ये सब हमारा झंझट नहीं हैं, ये सब रेस्टोरेंट वालो को सोचना हैं जो चौगुने दाम में हमें केवल पनीर खिला रहे हैं |

शाकाहारियों अपना हक़ माँगो, पनीर से संतुष्टि मत करो, ऐसी कितने ही व्यंजन हैं जो हमें मिलना चाहिए पर किसी रेस्टॉरेंट में उपलब्ध ही नहीं होते हैं | पनीर से आगे सोचने जाओ तो केवल आलू-टमाटर या छोले मिलते हैं वो भी बासी और बेस्वाद | भिंडी, मैथी, बैंगन, गिलकी, लौकी, कद्दू, गोभी,मटर, पालक, फलिया, बथुआ, शकरकंद,टमाटर जैसी अनगिनत सब्जियाँ हैं, तुवर-मुंग-चना-अरहर-मसूर-उड़द-राजमा जैसी दाले हैं, गेंहू-ज्वार-बाजरा-मक्का-रागी-चावल जैसे अनाज हैं और हर घर-गली-गाँव-शहर में माँ-दादी-नानी हैं जिनके पास इनसे बनने वाली लाजवाब डिशेस हैं | होटल-रेस्टॉरेंट वालो को चाहिए कि इस मामले में रिसर्च करे , इनोवेशन करे और इस पनीर की परंपरा से आगे बढ़कर सोचे | वरना कुकुरमुत्ते की तरह हर गली में उग रहे रेस्टोरेंट और रोज-रोज बाहर खाने का कल्चर हमारी उस भोजन की परंपरा को ही समाप्त कर देगा जो हमारे पूर्वजो ने समेटी हुए हैं और जिसमे स्वाद, स्वास्थ्य और संतुष्टि का अद्भुत संगम हैं |

और अंत में चलते-चलते : माँसाहारी भोजन ग्रहण करना सही हैं या गलत हैं, मैं इस बहस में नहीं पड़ना चाहता पर एक बार आप जो भोजन करते हैं वो कैसे पैदा होता हैं, कहाँ बिकता हैं और कैसे बनता हैं, इसका अनुभव जरूर लीजियेगा | किसी फल-सब्जियों के खेत या बगीचे में घूमने जाइएगा, अपने आसपास इतना अच्छा हरा-भरा वातावरण, खुशबुएँ मिलेगी जो आपके ह्रदय को प्रफ्फुलित कर देगी | किसी सब्जी के ठेले को देखिएगा, इतने रंग मिलेंगे कि आप इंद्रधनुष भूल जायेंगे | हरी-हरी भाजी, लाल टमाटर-गाजर, नीला बैंगन, भूरे आलू, सफ़ेद गोभी-मूली, पीला कद्दू – इतने रंग सजे हुए देखना ही आँखों के लिए सुखद अनुभव हैं | और इससे भी बढ़कर आप फल की दुकानों पर जाइएगा, यहाँ रंगो के साथ इतनी अच्छी सुगंध मिलेगी कि आप अच्छे से अच्छे डियोड्रेट भूल जाये | सेब-अमरुद-आम-चीकू-नासपाती-अन्नानास-संतरा-अनार इन फलो को खाने के पहले सूँघ कर देखिएगा, फलो का स्वाद आपको स्वास्थ्य देगा तो इनकी खुशबु प्रसन्नता | इसके बाद आप किसी माँस की दुकान पर जाइएगा, वहाँ आपको एक तेज़ धार का हथियार मिलेगा जो आपको अज्ञात भय से भर देगा | पिंजरे में बंद कुछ पशु मिलेंगे जो तड़प-तड़प कर उस पिंजरे बाहर निकलकर जीना चाहते हैं | रक्त दिखेगा, मांस के लोथड़े दिखेंगे और दुर्गन्ध की भरमार मिलेगी जो आपको भय और चिंता से भर देगी | इसके बाद आपकी इच्छा आप क्या खाना चाहते हैं |

2 responses to “क्या आपकी भी प्लेट में पनीर हैं ?”

  1. Paneer is trending so everyone want to have it without liking its taste and choice.
    Itna bhi bura nhi h jitna apne likh diya 😜

    Like

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