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व्यंग्य : शराब, शबाब, आसाराम और मुकुंदबिहारी
मैं शराब नहीं पीता पर शराबियो से मेरी पूरी सहानुभूति हैं | अक्सर समाज से सताये और दीन-दुनिया के प्रपंचो से प्रताड़ित व्यक्ति ही शराब पीता हैं | दिन भर का थका-हारा मानुस रात में यारो के साथ दौ जाम छलकाकर असीम सुकून पाता हैं | शराब अन्दर जाते ही सारे दुःख-दर्द एक-एक करके बाहर…