Tag: gazal
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हाल-ए-दिल
तारीफ करू या तकलीफ बताऊ, हाल-ए-दिल पर कैसे सुनाऊ ! ख्वाब नहीं जो मैं भूल जाऊ, इस खुशबू को मैं कहाँ छिपाऊ ! तेरे पास आऊ या तुझसे दूर जाऊ, इस चाहत को मैं कैसे जताऊ ! लड़की नहीं जो मैं शरमाऊ, शेर दिल हूँ फिर क्यू घबराऊ ! जंग हो तो मैं जीत भी […]
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ख़ुशी
रुई का गद्दा बेचकर दरी खरीद ली, ख्वाहिशो को कम किया और ख़ुशी खरीद ली ! कुछ पुरानी पतलून बेचकर चड्डी खरीद ली, क्रिकेट को छोड़ा और कबड्डी खरीद ली ! सबने ख़रीदा सोना मेने सुई खरीद ली सपनो को बुनने जितनी डोर खरीद ली ! मेरी एक ख्वाहिश मुझसे मेरे दोस्त ने खरीद ली, […]
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“तलाश”
मैं शराब नहीं पीता, पर तेरी निगाहें नीयत ख़राब करती हैं ! मैं ख्वाब नहीं देखता, पर तेरी सूरत नींदे ख़राब करती हैं !! मैं कोई राज़ नहीं रखता, पर तेरा ख्याल दिल में दबा रखा हैं ! मैं कोई कामकाज नहीं करता, पर तेरी आशिकी में खुद को लगा रखा हैं !! मैं होश […]
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नशा
Dedicated to all my drinker friends थोडा खुद को सजा दीजिये कोई ना कोई नशा कीजिये कब तक यु सेहत का मज़ा लीजिये जख्मो को भी तो जगह दीजिये चाहे जितनी मर्जी चंदा कीजिये थोडा चखना और एक बोतल पर मंगा लीजिये बेरहम ज़माने से बेखबर बनिए बोतलों में बहकर बेशरम बनिए फालतू की अब फिक्र […]
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गुस्ताखी
किसका भला हुआ हुआ हैं किनारों पर बैठकर, बेमौसम बारिश की बहारो को देखकर ! कभी देखना किसी माझी से पूछकर, कितना मजा आया उसे तुफानो से खेलकर ! करते रहिये थोड़ी गुस्ताखी जानबूझकर, खुदा भी खौफ खाता हैं खामोश चेहरों को देखकर ! वैसे खुश कोई नहीं यहाँ अपना आज देखकर, रोता हैं हर […]
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मेरा गाँव, मेरा देश
गाँव वीरान हैं, कसबे बेजुबान हैं शहरों में रहने चला गया वो जो घर का जवान हैं आता हैं घर ऐसे जैसे मेहमान हैं बूढी आँखों को फिर भी इतने में इत्मिनान हैं ! कहने को नगर हैं, कहने को महानगर हैं ऊँची इमारतों के नीचे पर एक लम्बी गटर हैं ! आदमी हैं […]
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जवान
साल दर साल मेरे ख्याल बदलने लगे, उमर जो बढ़ी तो बाल पकने लगे ! वो मासूमियत तो बचपन कब का अपने साथ ले गया, अब तो लड़कपन के मुंहासे भी सूरत से झरने लगे ! वो माँ हैं जो कहती हैं कि मैं अब भी बच्चा हूँ, वरना कुछ लोग तो मुझे अभी से […]
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अय्याशियाँ
अय्याशियों की आदत निराली होती हैं मस्ती की ये बोतले ना कभी खाली होती हैं ! खाली होती हैं गलियाँ सूरज की रोशनी देखकर दिन के उजालो में रंगीनियों को भी परेशानी होती हैं ! वो बंद हो जाते हैं मयखाने दिल को लुभाने वाले शहर में जब भी जमकर पहरेदारी होती हैं ! चोर फिर भी […]
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रूह का आँचल
भला-पूरा पागल हूँ मैं गिरा-संभला आँचल हूँ मैं जो ढलका कभी तो जमीं से जुड़ गया मैं जो उड़ा कभी तो हवाओं में घुल गया मैं क्या हुआ जो सर से थोडा सरक गया मैं पागल हवाओ को पहले परख गया मैं कोई जख्म तो तेरे जिस्म पर नहीं दे गया मैं मुहब्बत की बादलो […]
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अफवाहों से मुबारको का सफ़र
न वो कुछ बोले, ना हम कुछ बोले फिजा में अफवाहे फिर कौन घोले जी भर के हँसे या जरा देर रो ले बात बनाते लोगो को पर कोई क्या बोले बोले तो कोई बोले हमें, उन्हें न बोले कि हम तो हैं बिंदास बहुत, वो हैं जरा भोले हर सूरत को वो एक नज़र […]