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शहनाईयां
घडीबंद बाँहों में गलबाहियां मचलती हैं की अब हर तरफ बस शहनाईयां बजती हैं बहुत सुना चुके हैं ये बाग हमें बाँसुरी कि हर शाख से अब शहनाईयां ही बजती हैं क्या फरक पड़ता हैं खाये हम तीखा या नमकीन जुबाँ से तो शहद भरी शहनाईयां बजती हैं लो बुला लो कुछ ढोल और नगाडो […]