Tag: Urdu Shayari
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मौत
छा गया अंधेरा बुझ गयी ज्योत वक़्त की उंगलिया थामे लो आ गयी मौत जुए का खेल था ये ज़िन्दगी का कारवा जीते तो जीते चले गए और हारे तो लो आ गयी मौत बड़ी चालाकी से चल रहे थे हम तो हर एक चाल यारा पर चाल चली जब उसने तो लो आ गयी…
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“बरामदे की धूप” available in book format
Its an year and so, I haven’t update anything in blog. But good news is that I was trying to publish the content of blog in the form of book…and result is fruitful. All the poems of this blog are available in the form of book and e-book.You can buy it from online websites. Hope…
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शहनाईयां
घडीबंद बाँहों में गलबाहियां मचलती हैं की अब हर तरफ बस शहनाईयां बजती हैं बहुत सुना चुके हैं ये बाग हमें बाँसुरी कि हर शाख से अब शहनाईयां ही बजती हैं क्या फरक पड़ता हैं खाये हम तीखा या नमकीन जुबाँ से तो शहद भरी शहनाईयां बजती हैं लो बुला लो कुछ ढोल और नगाडो…
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मौसम
रूखे हाथो ने क्या सजावट की हैं कि आज फिर कोरे पन्नो पे लिखावट की हैं सर्द हवाओ ने मेरी चौखट पे ये आहट की हैं कि अल्फाज़ ही अब एक चीज़ राहत की हैं समेट लू धूप कि अब इसकी आदत सी हैं या ओढ़ लू अंगारे कि अब बात सेहत की हैं मुझसे…
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मुसाफिर
आसरा मिला मुझे तो आसमानों से मुसाफिरों को क्या मोहब्बत मकानों से ! आ जायेंगे हम तेरे एक बुलाने से कि नाराज ना हो हमारे चले जाने से ! बचपन से ही रहते हैं हम दीवानों से आजाद, बेखबर दुनियादारी के ख्यालो से ! जो मिला नहीं हमें इस शहर की दुकानों से वो पाया…
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नशा
Dedicated to all my drinker friends थोडा खुद को सजा दीजिये कोई ना कोई नशा कीजिये कब तक यु सेहत का मज़ा लीजिये जख्मो को भी तो जगह दीजिये चाहे जितनी मर्जी चंदा कीजिये थोडा चखना और एक बोतल पर मंगा लीजिये बेरहम ज़माने से बेखबर बनिए बोतलों में बहकर बेशरम बनिए फालतू की अब फिक्र…