Tag: urdu
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मौसम
रूखे हाथो ने क्या सजावट की हैं कि आज फिर कोरे पन्नो पे लिखावट की हैं सर्द हवाओ ने मेरी चौखट पे ये आहट की हैं कि अल्फाज़ ही अब एक चीज़ राहत की हैं समेट लू धूप कि अब इसकी आदत सी हैं या ओढ़ लू अंगारे कि अब बात सेहत की हैं मुझसे…
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मुसाफिर
आसरा मिला मुझे तो आसमानों से मुसाफिरों को क्या मोहब्बत मकानों से ! आ जायेंगे हम तेरे एक बुलाने से कि नाराज ना हो हमारे चले जाने से ! बचपन से ही रहते हैं हम दीवानों से आजाद, बेखबर दुनियादारी के ख्यालो से ! जो मिला नहीं हमें इस शहर की दुकानों से वो पाया…
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ख़ुशी
रुई का गद्दा बेचकर दरी खरीद ली, ख्वाहिशो को कम किया और ख़ुशी खरीद ली ! कुछ पुरानी पतलून बेचकर चड्डी खरीद ली, क्रिकेट को छोड़ा और कबड्डी खरीद ली ! सबने ख़रीदा सोना मेने सुई खरीद ली सपनो को बुनने जितनी डोर खरीद ली ! मेरी एक ख्वाहिश मुझसे मेरे दोस्त ने खरीद ली,…
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गुस्ताखी
किसका भला हुआ हुआ हैं किनारों पर बैठकर, बेमौसम बारिश की बहारो को देखकर ! कभी देखना किसी माझी से पूछकर, कितना मजा आया उसे तुफानो से खेलकर ! करते रहिये थोड़ी गुस्ताखी जानबूझकर, खुदा भी खौफ खाता हैं खामोश चेहरों को देखकर ! वैसे खुश कोई नहीं यहाँ अपना आज देखकर, रोता हैं हर…
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जवान
साल दर साल मेरे ख्याल बदलने लगे, उमर जो बढ़ी तो बाल पकने लगे ! वो मासूमियत तो बचपन कब का अपने साथ ले गया, अब तो लड़कपन के मुंहासे भी सूरत से झरने लगे ! वो माँ हैं जो कहती हैं कि मैं अब भी बच्चा हूँ, वरना कुछ लोग तो मुझे अभी से…
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अय्याशियाँ
अय्याशियों की आदत निराली होती हैं मस्ती की ये बोतले ना कभी खाली होती हैं ! खाली होती हैं गलियाँ सूरज की रोशनी देखकर दिन के उजालो में रंगीनियों को भी परेशानी होती हैं ! वो बंद हो जाते हैं मयखाने दिल को लुभाने वाले शहर में जब भी जमकर पहरेदारी होती हैं ! चोर फिर भी…
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रूह का आँचल
भला-पूरा पागल हूँ मैं गिरा-संभला आँचल हूँ मैं जो ढलका कभी तो जमीं से जुड़ गया मैं जो उड़ा कभी तो हवाओं में घुल गया मैं क्या हुआ जो सर से थोडा सरक गया मैं पागल हवाओ को पहले परख गया मैं कोई जख्म तो तेरे जिस्म पर नहीं दे गया मैं मुहब्बत की बादलो…