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जंग
इंसानियत दो हिस्सों में बंट गईजमीन पर जब सरहद बन गई करतूत देखो कमीने इंसान कीमुल्क बनाये, मिट्टी बंट गईं फिर बैठी बिसात सियासत कीफौज बनी, बंदूके तन गई हुक्मरानों को तो हुकूमतें चलाना थाफरमान निकाला जंग छिड़ गई कौन सही कौन गलतसारी दुनिया इसी में लग गई कौन देखे उन मासूमों कोजिनकी ज़िन्दगी जहन्नुम…