Gul-e-Gulzar


Devotion

ये सच हैं उसके दर पर हर दुआ कुबूल नहीं होती हैं !
पर पाक दिल से निकली फरियाद भी फिजूल नहीं जाती हैं !
रख के नीयत नेक, कर इबादत पूरी शिद्दत से …
फिर देख इंसा, उसकी रहमत तेरी हर आरजू पे बरसती हैं !!

भूल जाता हु रुतबा खुद का
गुम हो जाता हैं हर गुमान
खो देता हु खुद को इबादत में तेरी
सुनाई आती हे अल्लाह जब तेरी अजान

खुदा तेरी खिदमद में ये सर जब भी झुकता हैं
हर मंजर मुझे मेरा महबूब नज़र आता हैं

मेरे खुदा की रहमत से बुरे दिन भी हँसकर कट जाते हैं |
आते हे जो बादल तुफां बनके, बस भिगोकर निकल जाते हैं |

Depression

ख्वाहिश न सही तो ख़ामोशी ही सही
ख़ामोशी भी न मिली तो खुदखुशी ही सही……
दे रूह को आराम जो भीतर तक…
फरमाएंगे पर शौक वही…..

Dedication

खूबी उस खुदा में नहीं, जो पानी बरसाता हैं !
खूबी उस किसान में हैं, जो बीज बोता हैं !
जानता हे फल मेहनत का हे बारिश के हाथो में…
जुआ ये जिंदगी का खेलता हैं !
चंद सिक्के कमाने के लिए दुनिया का पेट भरता हैं !!

मांगो खुदा से कितना भी लेकिन |
मिलेगा उतना ही जितना बन्दा काबिल हे |
करके मेहनत बढालो अपनी काबिलियत |
बस यही एक हक यहाँ, हर किसी को हासिल हैं |

दुःख-दर्द में कभी कोई मोल भाव नहीं होता
ये तो वो दरिया हे जिसका कोई छोर नहीं होता
होंसलो की नाव लेकर चलते रहे तो तर गए
वरना डूबने में तो कभी किसी का जोर नहीं होता

Drollness

गुसलखाना किसी के लिए जरूरत हैं तो किसी के लिए शौक
इसीलिए तो कुछ लोग रोजाना ये गुनाह किया करते हैं…
और कुछ अक्सर ये लुत्फ़ उठाया करते हैं

किया फ़रिश्ता बनके काम जब भी कोई, आफतें दुनिया पे बरस जाती हैं |
कुछ यूँ खेल करती हे खोटी किस्मत हमारी,
की हर ख्वाहिश हमेशा खुराफातो में बदल जाती हैं |

Dialogs of Depth

ख्वाब बरसते हैं, नैन तरसते हैं
मंजिल तो आसाँ हैं पर मुश्किल ये रस्ते हैं

ख्वाहिश तो हमारी चाँद को छूने की हैं,पर क्या करे हाथ छोटे पड़ते हैं !
हारते हे हम हसरतो के खेल में तो क्या,
ख्वाब तो हम दिलो को जीतने का देखते हैं !!

ख़ामोशी के नकाब में हर शोर को छुपा लेते हैं !
होती हे दिल में जब बात कोई, लफ्जों से खेल लेते हैं !!

क्या हुआ जो घाट पर हमारे, लगता हरदम मेला नहीं
हे साथ जब तक आप इस नाचीज़ के, समझते हम भी खुद को अकेला नहीं

Last but not least…

ना हूँ कही का शहजादा मैं , ना ही कोई फनकार हूँ !
फिर भी बक्शी आपने मुहब्बत इतनी, तहे-दिल से शुक्रगुजार हूँ !!

2 responses to “Gul-e-Gulzar”

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