…उस दिन रात नहीं कटती !


कोई हँसी ख्वाब नहीं बनता,
कोई खूबसूरत ख्वाहिश नहीं खिलती,
दिन ऐसा गुजरा जो कोई,
तो उस दिन रात नहीं कटती !

दिन गुजरा बेमतलब बातो में तो क्या
बेफिक्र फुरसत के बगैर तो भूख भी नहीं लगती
और खाया जो खाना फिक्र में घुलकर गर
तो उस खाने से तबियत नहीं खिलती !

कोई मनपसंद गीत होंठ नहीं गुनगुनाते
किसी दिलकश धुन पर पैर नहीं थिरकते
कोई पागलपन जब तक हम कर नहीं लेते
तब तक उस दिन को अलविदा नहीं कहते

कोई हँसी ख्वाब नहीं बनता………………………………………

नफे नुकसान में तुलने लगी जो बाते अगर
मतलब से ही बँटने लगी हँसी जो गर
आया कभी मौसम ऐसा सितम बनकर
मर जायेंगे उस फिज़ा में हम लाइलाज जख्म खाकर

बिन बोले जो बात नहीं होती,
बिन बात जो हँसी नहीं आती,
लम्हा ऐसा जो गुजरा कोई ,
तो उस लम्हे में वो बात नहीं होती !

कोई हँसी ख्वाब नहीं बनता………………………………………

संजीदा होकर किया हर काम अच्छा हैं
पर जिंदा होने का अहसास हे तब जब दिल बच्चा हैं
मासूमियत में घुली हर हरक़त सच्ची हैं
पर मत सोचना कभी ये आदत टुच्ची हैं

किसी खूबसूरत चहरे को नज़रे भर कर ताक नहीं लेते
यारो के संग मन भर कर मसखरी कर नहीं लेते
अनजानी गलियों में जब तक आवारा तफरी कर नहीं कर लेते
कदम तब तक हमारे रुकने का नाम नहीं लेते

कोई हँसी ख्वाब नहीं बनता………………………………………

गिले शिकवो से बनी हो हर दिल की गली अगर
झूठ फरेब से सजा हो हर मन का आँगन अगर
चमका जो चमन ज़िन्दगी का कभी ऐसी महक बनकर
घुट जायेंगे उस खुशबू-ए-चमन में हम खराश बनकर

किसी अपने से बात नहीं होती
किसी अनजाने से हमदर्दी नहीं होती
आँखे किसी की याद में जब तक नम नहीं होती
तब तक इन आँखों में नींद भी नहीं उतरती

कोई हँसी ख्वाब नहीं बनता………………………………………

चार दीवारों में क़ैद रहे जो जिंदगी का तराना
काम में डूबा हो जो हर पल का फ़साना
पड़ जाये गर ऐसे ही पूरा जीवन बिताना
अर्जी हे खुदा से अगले जनम हमें इंसां ना बनाना

बादलो से जिस दिन बात नहीं होती
आवाज़ हवाओ की कानो में महसूस नहीं होती
पंछियों की चहचाहट संग जब शाम नहीं आती
उस दिन जिंदा होकर भी हममे ज़िन्दगी नहीं होती

कोई हँसी ख्वाब नहीं बनता,
कोई खूबसूरत ख्वाहिश नहीं खिलती,
दिन ऐसा गुजरा जो कोई,
तो उस दिन रात नहीं कटती !

5 responses to “…उस दिन रात नहीं कटती !”

Leave a comment