सावन बरसे, तरसे दिल


सावन बरसे, तरसे दिल…
क्यों ना निकले घर से दिल ….

मैं ये गीत क्यों पसंद करता हूँ …क्या कहा…सोनाली बेंद्रे की वजह से…मैं इस तथ्य से इनकार नहीं करता …पर यकीन मानिये सोनाली बेंद्रे को देखने के लिए और भी बहुत सारे गीत हैं…असल में इस गीत को पसंद करने की मेरे पास एक नहीं अनेक वजह हैं | फिर चाहे वो हरिहरन और साधना सरगम की सुमधुर आवाज़े हो या आदेश श्रीवास्तव का भावपूर्ण संगीत, अक्षय खन्ना और सोनाली बेंद्रे की उम्दा अदाकारी हो या शब्दों में दो प्रेमियों की बेचैनी को बयां करते इस गीत के बोल, सब कुछ अपने आप में अद्भुत हैं | पर इस गीत को पसंद करने की जो सबसे बड़ी और अहम् वजह मेरे पास हैं, वो हैं बारिश | मुझे हिंदी गीतों में बारिश के उपयोग पर बहुत सारी शिकायते हैं, हमने बारिश को हमेशा नायिका की मांसल देह को प्रदर्शित करने के लिए प्रयोग किया हैं या प्रेम के भोंडे प्रदर्शन के लिए | पर ये गीत अपने आप को उन सबसे अलग ही श्रेणी में खड़ा करता हैं, फ़िल्मकार ने बहुत ही खूबसूरती से वर्षा के माध्यम से पहले प्रेम की अभिव्यक्ति दिखाई हैं |

इस गीत की शुरुआत होती हें जब दौ प्रेमी पत्र के माध्यम से अपने मिलने का समय और जगह निर्धारित करते हें | दोनों ही इस मुलाकात के लिए खासे उत्साहित (या यू कहे पगलाये) जान पड़ते हैं ! गीत के शुरू होते ही सोनाली बेंद्रे अपने इस उत्साह को बारिश के पानी में उछलकूद करते हुए प्रदर्शित करती हें, तो उनकी उछलकूद से उठने वाले पानी के छींटे सहज ही देखने वालो के मन पर पड़ते हैं | और पड़े भी क्यों न, पहले पत्र पड़कर खुश होती, मुस्कुराती बला की ख़ूबसूरत सोनाली बेंद्रे को दिखाना, फिर सावन की बारिश से सराबोर शहर का खुशनुमा माहौल, और फिर मुलाकात के उत्साह से बारिश में मोहतरमा की उछलकूद, दिल को मदमस्त कर देने वाले सारे रसायन जैसे एक साथ ही मौजूद हैं | इतना देखने के बाद हम आनंद की हिलोरी भर रहे होते हैं कि हमारे आनंद को दोगुना करते हरिहरन के बोल शुरू होते हैं –

सावन बरसे, तरसे दिल…
क्यों ना निकले घर से दिल ….
बरखा में भी दिल प्यासा हैं…
ये प्यार नहीं तो क्या हैं …
देखो कैसा बेक़रार हैं भरे बाज़ार में…
यार एक यार के इंतज़ार में…


सच, गीत के बोल ऐसी बारिश में दीवानों के दिल का हाल व्यक्त करने में कोई कसर नहीं छोड़ते हैं, फिर चाहे वो प्रेम-दीवाने हो या मेरी तरह बारिश के दीवाने | गीत का मुखड़ा तीन चीजों पर केन्द्रित हैं – सावन, बाज़ार और यार | और गीत के फिल्मांकन में जोरदार सावन दिखाया हैं, सावन की बारिश में भीगता-सवरता शहर का बाज़ार भी दिखाया हैं, और बाज़ार के उन भीगे नजारो में फिरते दो दीवानों की बेताबी और प्यार की खुमारी के ख़ूबसूरत रंग भी दिखाए हैं |

जहाँ एक और सोनाली बेंद्रे बारिश में उछलकूद कर रही होती हैं, वही दूसरी और अक्षय खन्ना लाल रंग की चमकीली शर्ट पहने बारिश में बेख़ौफ़ चहलकदमी करते हुए सामने आते हैं | उनकी चाल में जिन्दादिली हैं तो लड़कपन भी, उत्साह की पराकाष्ठा हे तो बिंदासपन भी, आँखों में मासूमियत हे तो हरकतों में नटखटपन भी | बारिश की तो जैसे उन्हें कोई परवाह ही नहीं हैं वरन वो तो इसका पूरा मजा ले रहे हैं, जैसे बारिश बस उनकी ख़ुशी में शामिल होने के लिए ही बरस रही हैं | छाता लेकर चलते लोगो की भीड़ में से निकलने की जल्दबाजी हो या फूलो को देखकर मुस्कुराने का द्रश्य हो, हर द्रश्य में अक्षय खन्ना कही अपनी जोशीली चाल से तो कही अपनी भावपूर्ण आँखों से बहुत कुछ बयां करते नजर आये हैं |

खैर मुलाकात का उत्साह तो गीत के मुखड़े में हो गया, अब जायजा लीजिये मुलाकात के लिए की जाने वाली तैयारियों का, गीत के अंतरे में | नायिका जहाँ अपना सारा समय श्रंगार में बिताती हैं तो नायक तोहफा खरीदने में | दोनों एक दुसरे के ख्यालो में इस कदर डूबे हुए हैं की कुछ भी करते हुए बस एक दुसरे के बारे में ही सोच रहे हैं | नायिका नायक की पसंद के बारे में सोचकर ड्रेस निर्धारित करती हैं तो नायक नायिका की पसंद को ध्यान में रखकर तोहफा खरीदता हैं | और इस दौरान साधना सरगम अपने सुरों से सब कुछ बखूबी बयां करती हैं –

एक मोहब्बत का दीवाना ढूँढता सा फिरे…
कोई चाहत का नजराना दिलरूबा के लिए …

 इसके तुरंत बाद गीत प्रेम की पटरी को फिर बारिश के प्लेटफ़ॉर्म से जोड़ देता हैं और मेरा पसंदीदा द्रश्य आता हैं | और यही बात मुझे बहुत पसंद हे इस गीत की, हर बात को बारिश से जोड़ा गया हैं, जैसे बारिश अगर न बरसे तो लोग प्यार ही ना करे, दीवाने घर से ही ना निकले, मुलाकात ही ना करे, बस ऐसे गुमसुम घर में ही बैठे रहे| खैर, मैं अब अपने दिल के समंदर को समेटता हूँ और उस द्रश्य के बारे में बताता हु जिसका जिक्र शुरू किया था| अक्षय खन्ना उपहार खरीद कर गार्डन-गार्डन होते बाहर आते हे कि बारिश में खेलते बच्चो की फुटबाल उनके पास आती हैं| इस आनंद कि परिसीमा में उनके अन्दर का बच्चा जाग जाता हैं और वो बच्चो के साथ मस्ती करने लग जाते हैं | सच, बारिश में क्रिकेट या फूटबाल खेलने का अपना ही मजा हैं | और इस मजे में दिल की स्तिथि का शत प्रतिशत जायजा देते गीत के बोल –

छम-छम चले पागल पवन …
आये मजा भीगे बलम…
भीगे बलम, फिसले कदम…बरखा-बहार में …

इस द्रश्य में एक और मजेदार बात ये हैं कि इतने सारे बच्चे बॉल मांगते हुए अक्षय खन्ना के ऊपर चढ़ जाते हे फिर भी उनके हाथो में रखे फूल जस के तस बने रहते हैं | वैसे थोडा ध्यान से देखा जाये तो एक और बात हैं इस द्रशय में, अक्षय खन्ना पंटालून से उपहार और आरचीस से फूल खरीदते हैं | पंटालून की वो दुकान आजकल के पंटालून शो-रूम के मुकाबले काफी छोटी दिखाई पड़ती हैं, जो स्वतः ही भारत में आर्थिक उदारीकरण और वैश्वीकरण के शुरुआती दिनों की झलक दिखाते हैं |

मुलाकात के लिए श्रंगार हो गया, तोहफे खरीदना हो गया, अब बारी हैं गंतव्य तक पहुचने की | किन्तु शहर में तो हर तरफ बारिश हैं, पर साहिब-इ-आलम ये बारिश बाधक नहीं हैं वरन ये तो बस इन प्रेमियों के लिए ही बरस रही हैं | फ़िल्मकार ने बहुत ही खूबसूरती से बारिश के दिनों में आने वाली दिक्कतों से दोनों प्रेमियों की बैचैनी और मिलन के उत्साह को प्रदर्शित किया हैं | तेज़ हवा से जहाँ सोनाली बेंद्रे का छाता उड़ जाता हैं, वही अक्षय खन्ना तो पूरे भीगने का मन बनाकर ही घर से निकले हैं, हा बाल जरूर वो एक टेंकर के पानी से पहले ही धो लेते हैं | बारिश के कारण हुए जाम में सोनाली बेंद्रे की टेक्सी फस जाती हैं तो वो पैदल ही बाहर निकलकर सब्जी बेचने वाली महिलाओ के साथ चलना शुरू कर देती हैं | अक्षय खन्ना का ऑटो गड्डे में फंस जाता हैं (हालाँकि वो गड्डा फसने जैसा तो नहीं दिखाई देता हैं) तो वो तुरंत ही ऑटो वाले को पैसे देकर दूसरा साधन ढूँढना शुरू कर देते हैं | दोनों की बेसब्री और बैचनी इन द्रश्यो में देखते ही बनती हैं और उस पर हरिहरन गाते हे –

एक हसीना इधर देखो कैसी बैचैन हैं …
रास्ते पर लगे कैसे उसके दौ नैन हैं…
सच पूछिये तो मेरे यार …
दोनो के दिल बे-अख्तियार …
बे-अख्तियार…हैं पहली बार..पहली बहार में

जैसे जैसे दोनों अपने गंतव्य की और आगे बदते हैं, दोनों की यात्रा बहुत ही रोमांचक होती जाती हैं | और इस रोमांच, उत्साह और बेताबी को साज में बखूबी ढाला हैं संगीतकार ने | नायक-नायिका के दिल की धड़कने, दोनों के सफ़र का रोमांच, हरिहरन-साधना सरगम की जुगलबंदी और जुगलबंदी का भरपूर साथ देता भावविभोर संगीत, सब कुछ जैसे अपने चरम पर आ जाता हैं | सोनाली बेंद्रे साइकल रिक्शा में झुग्गी वाले बच्चो के साथ भीगने और सफ़र दोनों का मजा लेती हैं तो अक्षय खन्ना डम्फर चलाते तो कही हाथ ठेला में बैठे दिखाई देते हैं | लिफ्ट न मिलने पर निराशा का भाव हो या सड़क पार करने की हड़बड़ी, कोल्ड ड्रिंक की लौरी में लटक कर जाने का लुत्फ़ उठाना हो या बारिश में आम लोगो के साथ मजे करना, हर द्रश्य देखने वाले के मन को एक निर्मल आनंद से भिगोकर सराबोर कर देता हैं |

गीत के अंत में दोनो अपने नियत स्थान पर पहुच जाते हैं | नायक जहाँ नायिका को देखता हैं तो देखता ही रह जाता हैं, वही नायिका की बैचैन आँखे पहले तो नायक को भीड़ में बहुत ढूंडती हैं पर एक बार नज़रे मिलने पर शरमाकर झुक भी जाती हैं | द्रश्य को देखकर तय करना मुश्किल हैं की सावन की बारिश में भीगने में ज्यादा आनंद हैं या पहले प्यार की खुमारी में | वैसे आप कुछ निर्धारित करे उससे पहले मैं आपको बता दू की, इस द्रश्य की प्रष्ठभूमि में चर्च और उसके सामने चहलकदमी करती ननो (सिस्टर्स) को दिखाया हैं और वो भी ऐसे जैसे उन्हें कोई मतलब ही नहीं हैं इन दौ प्रेमियों के मिलन से | अब बस इस पर तो इतना ही कह सकते हैं –

कि जिसे मज़ा आ गया खुदा कि खातिरदारी में …
उसे क्या भीगना प्यार की खुमारी में …

वैसे एक और खास बात गीत के बारे में, गीत में फिल्माया हर एक द्रश्य से आप जुड़ाव महसूस करते हैं, हर द्रश्य जैसे अपने शहर का ही लगता हैं | गीत के बोलो में इसे सावन का महिना बताया हैं, और ठीक सावन के ही महीने की तरह कही जोरो से झमाझम बारिश दिखाई हैं, तो कही बूंदाबांदी | कही बारिश में खुश होते, मजे करते आम लोगो को दिखाया हैं, तो कही बारिश की वजह से प्रभावित हुआ जनजीवन | कई बार मैं सोचता हूँ की ये गीत बारिश का दर्शन हैं, अब देखिये ना टेक्सी से निकलकर आम लोगो के साथ सोनाली बेंद्रे का सफ़र करना बारिश में अमीर-गरीब के भेदभाव का कम होना दिखाता हैं, तो अनजान लोगो के द्वारा लिफ्ट देना मानव के सहायता करने की प्रवृत्ति को दर्शाता हैं| दूधवाले का बारिश में निकलना, लोगो के पास जरूरत की वस्तुओं को पहुचाना मनुष्य का मेहनती स्वाभाव दिखाता हैं, तो बारिश में भीगना, मजे करना मानवीय ह्रदय की मस्तमौला प्रवत्ति की और इशारा करती हैं | एक प्रेम को निभाने के चक्कर में दोनो प्रेमी कितने ही अनजान लोगो को अपना बना लेते हैं | ये ज़िन्दगी भी तो कई मायनों में ऐसी ही होती हैं, एक रिश्ता निभाने के लिए हम कितने ही बंधन जोड़ लेते हैं, एक सपना पूरा करने में कितने अरमान पूरे करते हैं, एक ज़िन्दगी जीने के लिए कितने ही जीवन को प्रभावित करते हैं, एक मंजिल को पाने के लिए कितने रास्तो से गुजर जाते हैं और उन रास्तो में कितने मुसाफिरों से मिल जाते हैं| सच ज़िन्दगी का सफ़र भी इन प्रेमियों के सफ़र की तरह ही बेताबियो से भरा और रोमांचक होता तो कितना मज़ा आता |

खैर, मैं अब अपने दर्शन-शास्त्र को विराम देता हूँ और आपसे अनुरोध करता हूँ की मेरे मशविरे पर इस गीत को जरूर देखिये , या यु कहे इस मानसून की शुरुआत ही इस गीत से कीजिये | यकीन मानिये आप मेरे अनुरोध को अहसान मानेगे …

गीत की यु-ट्यूब लिंक – http://www.youtube.com/watch?v=JmEQNr17cFQ

6 responses to “सावन बरसे, तरसे दिल”

  1. I am impressed by the way you observe so minutely and think so deeply. Not many of us could notice the things about the song that u noticed and penned down beautifully.
    एक प्रेम को निभाने के चक्कर में दोनो प्रेमी कितने ही अनजान लोगो को अपना बना लेते हैं | ये ज़िन्दगी भी तो कई मायनों में ऐसी ही होती हैं, एक रिश्ता निभाने के लिए हम कितने ही बंधन जोड़ लेते हैं, एक सपना पूरा करने में कितने अरमान पूरे करते हैं, एक ज़िन्दगी जीने के लिए कितने ही जीवन को प्रभावित करते हैं, एक मंजिल को पाने के लिए कितने रास्तो से गुजर जाते हैं और उन रास्तो में कितने मुसाफिरों से मिल जाते हैं
    beautiful philosophy!

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