अहसासों की बारिश में भीगता रहा मैं, यादो के गलियारों मे भटकता रहा मैं |
याद आती हे बचपन की कहानी, वो मम्मी का प्यार और मेरी शैतानी ||
वो बारिश में स्कूल की छत का टपकना और बेंच पर रखी मेरी किताबो को
भिगोना |
लाख बोलने पर भी अन्नू का आगे न सरकना और गुस्से में उसकी चोटी खीच कर
भाग जाना |
अन्नू की चीख फिर आसुओं की धार, टीचर का गुस्सा और मेरी हालत ख़राब |
थप्पदो की बारिश झेलता रहा मैं , मुर्गा बनकर बरामदे में चलता रहा मैं |
याद आती हे वो बचपन की कहानी, वो अन्नू की चोटी और मेरी शैतानी ||
गर्मी की छुट्टियों में गाँव में भटकना, भैसों को चराना और बरमे पर नहाना |
बरगद के पेड़ पर झुलना, जामुन तोड़ने पेड़ पर चढ़ना और बंदरो से डर कर
भागना |
बाबा के बाड़े में एक दुसरे की कमीज पकड़कर रेल चलाना और फिर थककर चूल्हे पर रोटी सेकती माँ की गोदी में सो जाना |
खेतो की मुंडेरों पर गिल्ली डंडा खेलना, हारना और लंगडी चलने की बात पर झगड़कर माँ के आँचल में छिप जाना |
आँचल में माँ के सोता रहा हु मैं ,बाबा के बाड़े में खेलता रहा हु मैं |
याद आती हे गाँव की जिंदगानी , बाबा के बाड़े में फिर वही रेल हैं चलानी ||
भोली सी सूरत और दिल के हैं साफ, मासूमियत से कर दिए बड़े बड़े काम |
दादाजी के पैर दबाना और दादी को रोज मंदिर ले जाना |
मस्ती में पिंकी की गुडिया तोड़ना और फिर गुल्लक के पैसो से नयी खरीदकर देना|
पडोसी के यहाँ शादी में खाना परोसना और मंदिर के रामायण पाठ में प्रसाद बटवाना|
१५ अगस्त की रैली में जोर से नारे लगाना और कारगिल के चंदे के लिए मोहल्ले में भटकना|
दिल की हर हसरत पूरी करना चाहता हु मैं,फिर उन दिनों को जीना चाहता हु मैं|
याद आती हे बचपन की कहानी, वो कारगिल का चंदा और गुल्लक पुरानी ||
अहसासों की बारिश में भीगता रहा मैं, यादो के गलियारों मे भटकता रहा मैं |
याद आती हे बचपन की कहानी, वो मम्मी का प्यार और मेरी शैतानी ||
7 responses to “Bachpan”
Pata nahin tha yaar hu jis ankit ke saath rehte hain woh Itna accha likhta hai.
Bhai abhi tak is talent ko kyun chuppa rakha tha……
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Ankit yar fati fati dete dete tu kab kavi ban gaya pata hi nahin chala
vo bhi itna achha poet really its amazing
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Really amazing……… 🙂
Aakhir tune prove kar diya mere yaar…
*100 sunar ki aur 1 thakur ki*
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Hureeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeee,
bus yaar maja la diya tu ne :-
ek shayri aur ho jaye bachpan se jawani ka ezhar ho jaye aur sumandar ke paawo pe hai aaj ke shaam ho jaye……….
kya khahte hai dost………………..
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Superb, awesome, beautiful…………
Dost chhaa gaye!!!.
Bachpan ke dino ki yaar dila di tune….. school ki chhat se pani tapakna aur kargil ke liye chanda karna…. sahi me wo din hi alag the. Yaar phir se chalte he apne school…. milne ki ichhha he sabhi didi, acharyaji se….. kya bolta he?
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thanks.
chalo chalte he school kabhi ujjain jayege tab !!!!
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ultimate
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