I started this poem when I was in my village, sleeping on the roof. Every time I tried, I added some lines to it but never completed this poem. Don’t know whether this poem is completed or not, but I jotted down all the lines wrote under this topic. Hope you like it.
रात के अँधेरे में कही गुम हो गया हु मैं,
सपनो को आँखों में बंद किये फिर सो रहा हु मैं |
जाना कहा था मुझे और किधर चल रहा हु मैं,
ख्वाबो की बारात दिल में सजाये फिर सो रहा हु मैं |
आसमां की ऊंचाई नजरो से नाप रहा हु मैं,
धरती की लम्बाई कदमो से माप रहा हु मैं ,
सागर की गहराई लहरों से भांप रहा हु मैं ,
आखो को मूंदे तारो पे भाग रहा हु मैं |
रात भर आँखों में बर्फ की तरह जमे रहते हे मेरे सपने ,
सुबह होते ही हकीकत की गर्मी से पिघल जाते हे सारे सपने |
हकीकत के समंदर में सपनो का मोती ढूंड रहा हु मैं ,
दुनिया के दस्तूर से समझोता किये चलता ही जा रहा हु मैं |
सूरज की गर्मी में तपते हे मेरे सपने,
बारिश की बूंदों में धुलते हे मेरे सपने,
चांदनी की ठंडक से सवरते हे मेरे सपने,
मोसम के दामन में रोज निखरते हे मेरे सपने |
वास्तविकता की राहों पे भटक जाते हे मेरे सपने,
हकीकत की उजालो में चोंधिया जाते हे मेरे सपने,
ज़माने की भीड़ में गुम हो जाते हे मेरे सपने,
रात को आँखों में फिर भी उतर आते हे मेरे सपने |
सपने देखने से दिल को रोका भी, दिल को टोका भी,
दोस्त बनके समझाया भी, दुश्मनी करके धमकाया भी,
पर दिल हे की जैसे मानता ही नहीं,
बसाता हे घर उसी बस्ती में जो कही बसती ही नहीं |
आस के धागों को तोड़ते जा रहे हे मेरे सपने,
वक़्त की रेत में दबते जा रहे हे मेरे सपने,
अबकी बार तो हो गए हे गैर वो ख्याल भी, जो कभी लगते थे अपने
ऐतबार हे दिल को फिर भी जाने क्यू, कभी तो सच होगे मेरे सपने |
2 responses to “मेरे सपने”
Dil to bachha hai…
Agar ye darne se, dhamkane se man jata to…
“Life becomes to easy”… 🙂
Nice poem… it covers all aspect of our life…
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That’s a brilliant piece of poetry..
nice metaphors-
सूरज की गर्मी में तपते हे मेरे सपने,
बारिश की बूंदों में धुलते हे मेरे सपने,
A big applause.. 🙂
Our dreams, fantasies, struggle with realities are carved so beautifully in the poem!
Running through the race of life, sumtimes we get a chance to pause and stare at the sky..
We look at the past, ponder over future.
These thoughts are best expressed in the poem.
Shayad lete lete aasman ko dekhte hue,
aise hi kuch khayal dil se guzarte hai,
kabhi aasmaan hume koi khwab dikhata hai,
kabhi taro se hum apni baat karte hai..
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